सामयिक

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‘कोई क्या कल्लेगा?’ : सुधीश-संगत पर एक नातिदीर्घ टिप्पणी

सुधीश पचौरी के साथ हिंदी की दुनिया ने बड़ा अन्याय किया है।…

एक आत्मसाक्षात्कार

We only see what we look at. To look is an act…

‘यौनिकता, अश्लीलता और साम्प्रदायिकता’ तथा औपनिवेशिक उत्तर प्रदेश में ‘हिन्दू पहचान’ का निर्माण

“दरअसल ‘स्वच्छ’ और ‘अश्लील’ के आधार पर साहित्य का विभाजन पूरी तरह…

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