अपने शोध के आधार पर चारु सिंह को ही ‘अज्ञात हिन्दू औरत’ की हरदेवी के रूप में पहचान करने और उनके बौद्धिक एवं सामाजिक कार्यों को व्यवस्थित रूप में आलेखबद्ध करने का श्रेय जाता है। ‘आलोचना’ के नवीनतम अंक में प्रकाशित उनका नया आलेख हरदेवी के साथ उनकी लंबी यात्रा के गंतव्य की तरह है।