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चारु सिंह ने ‘आलोचना’ अंक-78 में प्रकाशित अपने लंबे शोध आलेख के इस हिस्से में हरदेवी संबंधी अपने काम को बिना श्रेय दिये हथियाए जाने के जो विवरण दिए हैं, उन पर हिन्दी संसार को तत्काल ग़ौर करने की ज़रूरत है।