अभिलेख, आलोचना, इतिहास और हरदेवी का जीवन
अपने शोध के आधार पर चारु सिंह को ही ‘अज्ञात हिन्दू औरत’ की हरदेवी के रूप में पहचान करने और उनके बौद्धिक एवं सामाजिक कार्यों को व्यवस्थित रूप में आलेखबद्ध…
आलोचना अंक-78 पर एक नज़र
इस अंक में ज़्यादातर आलेख जहाँ युवा आलोचकों के हैं, वहीं समीक्षाएँ वरिष्ठ और लब्धप्रतिष्ठ आलोचकों तथा रचनाकारों की लिखी हुई हैं। अंक को अंतिम रूप देते हुए इस विपर्यय…
प्रतिरोध की पटकथा : ‘द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग’
एक धर्म राज्य कैसे काम करता है? वह अपने नागरिकों के व्यक्तित्व और उनकी ज़िन्दगी को किस तरह तबाह करता है? अगर आपकी दिलचस्पी इन सवालों में है तो आपको…
हम देखेंगे : अनर्थ के विरुद्ध
फ़ैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ भारतीय उपमहाद्वीप में 80 के दशक से प्रतिरोध की सबसे मकबूल शायरी के रूप में प्रतिष्ठित है। सभी जानते हैं कि इसकी रचना पाकिस्तान में…
चौथा पड़ाव अलीगढ़ : कुत्ती ज़िदों को पछाड़ते हुए
कर्मकर्ता और लेखक हिमांशु कुमार की साइकिल यात्राएँ जनसंपर्क और जन-जागरण का जरिया तो हैं ही, वे सार्थक सत्य की उनकी अपनी खोज़ का साधन भी हैं। इधर उन्होंने अपनी…
21वीं सदी की हिन्दी कविता
आलोचना पत्रिका के कविता-अंक की योजना बने हुए साल-भर से अधिक समय हो गया। उस समय सोचा यह गया था कि इसे एक महीने के भीतर तैयार कर लिया जाएगा।…
‘पाकिस्तान’ अथवा ‘भारत का विभाजन’ : डॉ. आंबेडकर के विचारों के कुपाठ के बरक्स
भारत-विभाजन की माँग और उस के इर्द गिर्द की राजनीति पर अपनी पार्टी के नज़रिए को स्पष्ट करते हुए डॉक्टर आंबेडकर ने एक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी थी। आंबेडकर के गंभीर अध्येता…
भारतीय फासीवाद और प्रतिरोध की संभावना
फासीवाद का सबसे बड़ा लक्षण कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के एक गठबंधन के रूप में काम करने की प्रवृत्ति है। लोकतंत्र में इन तीनों के अलगाव और इनकी स्वायत्तता पर…
वागीश झा : चुप्पी को चुनौती
वागीश भैया मानते थे कि कला का प्रभाव क्षणिक नहीं होना चाहिए। हालाँकि हम उनके द्वारा प्रस्तुत विचारों की परतों को पूरी तरह से नहीं समझ पाए, लेकिन जटिल विचारों…