आलेख

आंचलिक और राष्ट्रीय के द्विचर से परे

अभी हम हिंदी के बेमिसाल कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु (4 मार्च 1921…

भारत विभाजन: राजनीति, ज्ञान मीमांसा और प्रतिरोध

विभाजन के प्रचलित आख्यानों पर सवाल उठाता आशुतोष कुमार का यह लेख…

‘आलोचना’ क्यों? शिवदान सिंह चौहान का सम्पादकीय

हमारे साहित्य और जीवन की जिन सामयिक और स्थायी आवश्यकताओं ने ‘आलोचना’…

Admin Admin

अकाल का ख़बरनवीस : चित्तप्रसाद के रिपोर्ताज़

चित्तप्रसाद के जीवन को देखने से कई बार लगता है कि उनका…

Admin Admin

‘यौनिकता, अश्लीलता और साम्प्रदायिकता’ तथा औपनिवेशिक उत्तर प्रदेश में ‘हिन्दू पहचान’ का निर्माण

“दरअसल ‘स्वच्छ’ और ‘अश्लील’ के आधार पर साहित्य का विभाजन पूरी तरह…

Admin Admin

हिंदी आलोचना का आत्मसंघर्ष और नामवर सिंह

ट्रॉमा सेंटर की आइसीयू के बाहर विजय जी से मुलाकात हुई। विजय…