हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ

हरे प्रकाश उपाध्याय एक लंबे समय के बाद इस समाज की सच्चाइयाँ अपनी कविताओं में लेकर आए हैं। ये कविताएँ मजदूरों की कविताएँ हैं। ऐसी कविताएँ इन दिनों चलन के…

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अपमानवाद, आतंकवाद और फ़िलिस्तीन

होलोकास्ट की स्मृति को बनाए रखने की जितनी भी कोशिश की जाती हैं वे सभी बिल्कुल जायज हैं। दुनिया में होलोकास्ट जैसी घटनाएँ कभी दुहराई नहीं जानी चाहिए। लेकिन फ़िलिस्तीन…

हिन्दी नवजागरण बनाम निराला

निराला की वैचारिक यात्रा कथित ‘हिन्दी नवजागरण’ के दायरे में शुरू होती है, लेकिन क्रमश: वे इससे टकराते हैं और इसे पार कर भारतीय समाज की आधुनिक विवेक से प्रेरित…

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अलविदा फ्रेडरिक जेमसन

वर्तमान समय के सबसे बड़े चिन्तकों में से एक जेमसन अपने पीछे एक बहुत बड़ी दार्शनिक और आलोचकीय विरासत छोड़ गए हैं जिसका हमारे समय, समाज और विश्व-राजनीति पर गहरा…

अंचित अंचित

अदनान कफ़ील दरवेश की कविताएँ

आधुनिक व्यक्ति-मनुष्य के रूप में एक मुसलमान जिन बहुआयामी अस्मिताओं का वहन करता है, उन सभी को मिटाकर पहले उसे सिर्फ़ जाहिल मुसलमान की अपमानजनक इकहरी अस्मिता में अवक्रमित किया…

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अरुंधति रॉय के साथ संजीव कुमार और सत्यानन्द निरुपम की बातचीत

“...सारे जो चरित्र हैं ना, सबके भीतर एक बार्डर है। अंजुम में जेंडर का है, सद्दाम में जाति और धर्म का है, तिलोत्तमा में वो जाति का है, मूसा में…

संजीव कुमार संजीव कुमार

नेहा नरूका की कविताएँ

...नेहा नरूका की कविताएँ क्या हैं? सवालों के छापामार दस्ते हैं। ये दस्ते बिना किसी चेतावनी के आपको कहीं भी घेर सकते हैं। वे आपकी पाली-पोसी या उपहार में मिली…

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आंचलिक और राष्ट्रीय के द्विचर से परे

कौन नहीं जानता कि जिस समय देश का संविधान बन रहा था, उस समय हिन्दुत्व की ताक़तें यह गुहार लगा रही थीं कि जब हमारे पास मनुस्मृति है तो फिर…

आर. चेतनक्रान्ति की कविताएँ

आर. चेतनक्रान्ति बेसाख़्ता हँसी और बेशऊर आज़ादी से ऊब चुके उस देश के नाराज़ कवि हैं जो और अधिक दुख पीड़ा यातना के लिए हाथ जोड़कर खड़ा हो गया है। 'शोकनाच' और 'वीरता पर…

भारत विभाजन: राजनीति, ज्ञान मीमांसा और प्रतिरोध

विभाजन का सम्भव होना ही भारत की प्रसिद्ध गंगा-जमुनी तहजीब और बहुलात्म संस्कृति पर प्रश्नचिह्न लगाने वाली घटना थी। भारतीय सभ्यता की बहुलात्मता का विध्वंस उसके सभी वारिसों की साझा…