बुलडोज़र गाथा
इंडियन एक्सप्रेस (18 नवंबर, 2024) में सुहास पलसीकर लिखते हैं : ‘हमारे…
‘आलोचना’ त्रैमासिकी के अंक-75 पर एक नज़र
'आलोचना' त्रैमासिकी के अंक-75 में ‘कफ़न’ संबंधी बहस को युवा शोधार्थी अदिति…
अरुंधति रॉय के साथ संजीव कुमार और सत्यानन्द निरुपम की बातचीत
अरुंधति रॉय का दूसरा उपन्यास—‘द मिनिस्टरी ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस—2017 में आया था…
आंचलिक और राष्ट्रीय के द्विचर से परे
अभी हम हिंदी के बेमिसाल कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु (4 मार्च 1921…
‘कोई क्या कल्लेगा?’ : सुधीश-संगत पर एक नातिदीर्घ टिप्पणी
सुधीश पचौरी के साथ हिंदी की दुनिया ने बड़ा अन्याय किया है।…