अपनी पहली ही फ़िल्म ‘अंकुर’ के माध्यम से श्याम बेनेगल ने आंध्र-तेलंगाना के सामन्तों के उद्दंड-अतिक्रमणकारी व्यवहारों और यौनलिप्साओं की आलोचना की। फ़िल्म यह दिखाने में सफल रही कि इसके जरिए श्याम बेनेगल किसी खास खलनायक चरित्र नहीं बल्कि पूरी सामाजिक व्यवस्था के बारे में दर्शकों को सजग कर रहे हैं।